OPS Scheme: 1 अप्रैल 2004 को केंद्र सरकार द्वारा पुरानी पेंशन योजना (OPS) को समाप्त करके नई पेंशन योजना (NPS) लागू की गई थी। इस महत्वपूर्ण बदलाव के बाद, विभिन्न राज्य सरकारों ने भी केंद्र के मार्ग का अनुसरण किया और अपने कर्मचारियों के लिए नई पेंशन प्रणाली को अपनाया। हालांकि, इस परिवर्तन के बाद से ही सरकारी कर्मचारी संगठन नई पेंशन योजना का लगातार विरोध करते रहे हैं। इस विरोध का मुख्य कारण यह है कि नई पेंशन योजना में कर्मचारियों को वह सुरक्षा और स्थिरता नहीं मिलती, जो पुरानी पेंशन योजना में प्रदान की जाती थी।
कर्मचारी संगठनों की मांग और विकल्प की आवश्यकता
राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के अध्यक्ष जेएन तिवारी ने पिछले कई वर्षों से पुरानी पेंशन योजना के विकल्प को वापस लाने की मांग उठा रहे हैं। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को कई बार पत्र लिखकर इस मुद्दे पर ध्यान आकर्षित किया है। 12 मार्च 2022, 8 अप्रैल 2023, 24 अप्रैल 2023 और 11 जुलाई 2023 को भेजे गए पत्रों में उन्होंने कर्मचारियों को नई पेंशन व्यवस्था से पुरानी पेंशन व्यवस्था में जाने का विकल्प देने की मांग की है। उनका मानना है कि सरकारी कर्मचारियों को चुनाव का अधिकार होना चाहिए, जिस प्रकार निजी क्षेत्र के कर्मचारियों को नई पेंशन योजना में शामिल होने का अवसर दिया गया है।
केंद्र सरकार की समिति और योगी आदित्यनाथ से बातचीत
26 अगस्त को, जेएन तिवारी ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से भी पुरानी पेंशन योजना पर चर्चा की। इस बैठक में मुख्यमंत्री ने बताया कि केंद्र सरकार ने पुरानी पेंशन योजना की बहाली के लिए एक विशेष समिति का गठन किया है। उन्होंने आश्वासन दिया कि समिति की रिपोर्ट आने के बाद इस मुद्दे पर उचित कार्रवाई की जाएगी। प्राप्त जानकारी के अनुसार, केंद्र सरकार की समिति भी पुरानी पेंशन योजना को समर्थन देने की दिशा में विचार कर रही है। यदि यह सही है तो यह सरकारी कर्मचारियों के लिए एक बड़ी राहत की बात होगी।
कुछ राज्यों की पहल और तकनीकी चुनौतियां
वर्तमान में, कुछ राज्य सरकारों ने कर्मचारियों के बढ़ते दबाव को देखते हुए पुरानी पेंशन योजना को फिर से लागू करने का निर्णय लिया है। हालांकि, इसमें अभी भी कई तकनीकी समस्याएँ बनी हुई हैं। जिन राज्यों ने पुरानी पेंशन योजना को वापस अपनाया है, वहां के कर्मचारियों का नई पेंशन योजना (NPS) के अंतर्गत दिया गया अंशदान अभी भी पूरी तरह से समायोजित नहीं हुआ है। यह एक जटिल प्रक्रिया है जिसमें कई वित्तीय और प्रशासनिक बाधाएँ हैं, जिन्हें हल करने के लिए सरकार को ठोस नीतिगत फैसले लेने होंगे।
सरकार के सामने चुनौती और संभावित समाधान
जेएन तिवारी के अनुसार, सरकार ने व्यापक रूप से नई पेंशन योजना को प्रोत्साहित किया है, जिसमें सरकारी और निजी दोनों क्षेत्रों के कर्मचारियों की भागीदारी सुनिश्चित की गई है। इस स्थिति में योजना को पूरी तरह से समाप्त करना कठिन हो सकता है। लेकिन उनका मानना है कि सरकारी कर्मचारियों को पेंशन योजना चुनने का विकल्प अवश्य मिलना चाहिए। उन्होंने स्पष्ट चेतावनी दी है कि अगर देश और राज्यों के कर्मचारियों को नई पेंशन योजना से पुरानी पेंशन योजना में जाने का विकल्प नहीं दिया गया, तो इसका राजनीतिक परिणाम हो सकता है और आने वाले पांच राज्यों के चुनावों और लोकसभा चुनाव में सरकार को इसका खामियाजा भुगतना पड़ सकता है।
विकल्प की आवश्यकता और 2009 का प्रयास
जेएन तिवारी ने उल्लेख किया कि 2009 तक केंद्र सरकार ने कुछ विशेष शर्तों पर कर्मचारियों को पेंशन योजना के विकल्प का अवसर दिया था। लेकिन उनका कहना है कि यह विकल्प सभी कर्मचारियों के लिए उपलब्ध होना चाहिए, न कि सिर्फ कुछ चुनिंदा लोगों के लिए। उनका तर्क है कि जब निजी क्षेत्र के कर्मचारियों को नई पेंशन योजना में शामिल होने का विकल्प दिया गया है, तो सरकारी कर्मचारियों को भी अपनी पेंशन योजना चुनने का अधिकार मिलना चाहिए।
नई पेंशन योजना के साथ कर्मचारियों की चिंताएं
नई पेंशन योजना में सबसे बड़ी चिंता यह है कि इसमें सेवानिवृत्ति के बाद मिलने वाली राशि बाजार की स्थिति पर निर्भर करती है। इसमें कोई निश्चित गारंटी नहीं है कि कर्मचारियों को कितनी राशि मिलेगी। जबकि पुरानी पेंशन योजना में, सेवानिवृत्ति के बाद कर्मचारियों को उनके अंतिम वेतन का एक निश्चित प्रतिशत पेंशन के रूप में मिलता था, जो जीवन भर जारी रहता था। यही कारण है कि कर्मचारी संगठन नई पेंशन योजना का विरोध करते रहे हैं और पुरानी पेंशन योजना की बहाली की मांग करते रहे हैं।
पुरानी पेंशन योजना का मुद्दा सिर्फ एक आर्थिक मुद्दा नहीं है, बल्कि लाखों सरकारी कर्मचारियों के भविष्य से जुड़ा है। केंद्र सरकार के समिति द्वारा जारी की जाने वाली रिपोर्ट इस मुद्दे के समाधान में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। सरकार को कर्मचारियों की चिंताओं को ध्यान में रखते हुए एक संतुलित और व्यावहारिक समाधान निकालने की आवश्यकता है, जिससे कर्मचारियों के हित भी सुरक्षित रहें और सरकारी वित्त पर भी अतिरिक्त बोझ न पड़े।
Disclaimer
यह लेख केवल सूचनात्मक उद्देश्य के लिए है। पेंशन योजनाओं से संबंधित निर्णय लेने से पहले सरकारी अधिकारियों या वित्तीय सलाहकारों से परामर्श करें। लेख में दी गई जानकारी सरकारी नीतियों में परिवर्तन के अधीन है।