DA merger: केंद्र सरकार के कर्मचारियों के लिए एक महत्वपूर्ण समाचार सामने आया है। हाल ही में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार, सरकार 8वें वेतन आयोग के अंतर्गत महंगाई भत्ते (DA) को बेसिक सैलरी में मर्ज करने की योजना पर विचार कर रही है। इस कदम से केंद्रीय कर्मचारियों और पेंशनभोगियों की आर्थिक स्थिति पर काफी प्रभाव पड़ेगा। ऐसा माना जा रहा है कि बेसिक सैलरी में महंगाई भत्ते के मर्ज होने के कारण फिटमेंट फैक्टर में भी अपेक्षित वृद्धि नहीं होगी, जिससे कर्मचारियों की कुल वेतन वृद्धि पर असर पड़ सकता है।
8वें वेतन आयोग का अनुमानित समय
केंद्र सरकार ने जनवरी 2026 में नए वेतन आयोग के गठन को मंजूरी दी थी, जिसके बाद से इससे संबंधित अनेक अपडेट सामने आ रहे हैं। कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि 8वां वेतन आयोग अगले वर्ष लागू हो सकता है, जबकि अन्य रिपोर्ट्स के अनुसार इसके 2027 में लागू होने की संभावना है। इस बीच, केंद्रीय कर्मचारियों के महंगाई भत्ते में हाल ही में वृद्धि की गई है, जिसके बाद यह अनुमान लगाया जा रहा है कि नए वेतन आयोग में सरकार फिटमेंट फैक्टर में वृद्धि नहीं करेगी।
महंगाई भत्ते को मर्ज करने का कारण
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, सरकार केंद्रीय कर्मचारियों की बेसिक सैलरी में 50 प्रतिशत महंगाई भत्ते को मर्ज करने की तैयारी कर रही है। इसका मुख्य कारण 5वें वेतन आयोग में बनाया गया वह नियम है, जिसके अनुसार जब महंगाई भत्ता 50 प्रतिशत से अधिक हो जाता है, तो इसे बेसिक सैलरी में मर्ज किया जाता है। इस नियम का पालन 2004 में भी किया गया था, हालांकि 6वें और 7वें वेतन आयोग में ऐसा नहीं हुआ था। अब ऐसा अनुमान है कि इस बार फिर से महंगाई भत्ते को बेसिक सैलरी में मर्ज किया जाएगा।
फिटमेंट फैक्टर पर प्रभाव
फिटमेंट फैक्टर न बढ़ने का मुख्य कारण यह है कि अभी केंद्रीय कर्मचारियों की न्यूनतम बेसिक सैलरी 18,000 रुपये है। महंगाई भत्ता मर्ज होने के बाद यह बढ़कर लगभग 27,000 रुपये हो सकती है। विशेषज्ञों का मानना है कि इस बढ़ी हुई बेसिक सैलरी पर 2.86 के फिटमेंट फैक्टर का लागू होना संभव नहीं होगा। क्योंकि नए वेतन आयोग से पहले ही सैलरी में वृद्धि हो जाएगी, इसलिए फिटमेंट फैक्टर की मांग पर इसका असर पड़ेगा।
फिटमेंट फैक्टर का महत्व
फिटमेंट फैक्टर एक ऐसा गुणांक है, जिसका उपयोग सरकार कर्मचारियों की मौजूदा बेसिक सैलरी को नए वेतन आयोग के अनुसार बढ़ाने के लिए करती है। हालांकि, वेतन वृद्धि केवल फिटमेंट फैक्टर पर ही निर्भर नहीं करती, लेकिन इसका कुल वेतन वृद्धि पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है। 7वें वेतन आयोग में 2.57 का फिटमेंट फैक्टर लागू किया गया था, जबकि कर्मचारियों की ओर से 8वें वेतन आयोग में 2.86 फिटमेंट फैक्टर लागू करने की मांग की जा रही है।
बेसिक सैलरी में वृद्धि का प्रभाव
महंगाई भत्ते को बेसिक सैलरी में मर्ज करने से कर्मचारियों की मूल वेतन में तो वृद्धि होगी, लेकिन इसका अन्य भत्तों पर भी प्रभाव पड़ेगा जो बेसिक सैलरी के आधार पर निर्धारित होते हैं। जैसे कि मकान किराया भत्ता, परिवहन भत्ता और अन्य भत्ते जो बेसिक पे के प्रतिशत के आधार पर दिए जाते हैं, उनमें भी वृद्धि होगी। इससे कर्मचारियों और पेंशनभोगियों की आय में सकारात्मक बदलाव आएगा।
पेंशनर्स पर प्रभाव
महंगाई भत्ते का बेसिक सैलरी में विलय होने से पेंशनभोगियों को भी लाभ मिलेगा, क्योंकि उनकी पेंशन की गणना मूल वेतन के आधार पर की जाती है। बेसिक सैलरी में वृद्धि होने से उनकी पेंशन राशि में भी स्वतः वृद्धि हो जाएगी। इससे सेवानिवृत्त कर्मचारियों के जीवन स्तर में सुधार होने की संभावना है।
विशेषज्ञों की राय
वेतन विशेषज्ञों का मानना है कि महंगाई भत्ते को बेसिक सैलरी में मर्ज करना एक सामान्य प्रक्रिया है जो आर्थिक स्थिति और मुद्रास्फीति दर के आधार पर समय-समय पर की जाती है। हालांकि, इस बार यह प्रक्रिया फिटमेंट फैक्टर की मांग के साथ जुड़ गई है, जिससे कर्मचारियों की अपेक्षाओं और वास्तविक लाभ के बीच अंतर उत्पन्न हो सकता है।
भविष्य की संभावनाएं
सरकार की ओर से अभी तक कोई आधिकारिक घोषणा नहीं की गई है, लेकिन रिपोर्ट्स के अनुसार 8वें वेतन आयोग की सिफारिशें जब लागू होंगी, तब महंगाई भत्ते का बेसिक सैलरी में विलय और फिटमेंट फैक्टर का निर्धारण महत्वपूर्ण मुद्दे होंगे। केंद्रीय कर्मचारियों और उनके संगठनों को इन विकासों पर नज़र रखनी चाहिए और आने वाले समय में होने वाली घोषणाओं के लिए तैयार रहना चाहिए।
Disclaimer
यह लेख केवल सूचनात्मक उद्देश्यों के लिए है और इसमें दी गई जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है। पाठकों से अनुरोध है कि वे किसी भी निर्णय लेने से पहले आधिकारिक सूत्रों से पुष्टि करें। सरकारी नीतियों और निर्णयों में समय-समय पर परिवर्तन हो सकते हैं, इसलिए नवीनतम जानकारी के लिए सरकारी वेबसाइट या आधिकारिक सूचनाओं का संदर्भ लें।