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कर्मचारियों के लिए खुशखबरी, 18 महीने का बकाया भुगतान होगा अब DA Arrears News

DA Arrears News: सरकारी कर्मचारियों के लिए बड़ी खबर सामने आई है। कोविड-19 महामारी के दौरान 18 महीनों तक रोके गए महंगाई भत्ते (DA) के बकाए को लेकर सरकार ने अपना फैसला सुना दिया है। लोकसभा में यह मुद्दा उठाया गया, जिसके बाद सरकार की ओर से स्पष्ट जवाब आया है। इस फैसले से करोड़ों केंद्रीय कर्मचारी और पेंशनभोगी प्रभावित होंगे।

संसद में उठा DA बकाए का मुद्दा

हाल ही में, लोकसभा सांसद आनंद ने 3 फरवरी को संसद में केंद्रीय कर्मचारियों के बकाया महंगाई भत्ते का मुद्दा उठाया। उन्होंने सरकार से सीधे सवाल किया कि क्या कोविड-19 के दौरान रोके गए डीए और डीआर (महंगाई राहत) को अब जारी किया जाएगा। उन्होंने यह भी पूछा कि इसे रोकने के पीछे सरकार के क्या कारण थे, और क्या यह राशि वापस देने से अर्थव्यवस्था को लाभ होगा।

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कोरोना काल में क्यों रोका गया DA

कोरोना महामारी के दौरान, केंद्र सरकार ने वित्तीय संकट को देखते हुए एक बड़ा निर्णय लिया था। सरकार ने 01 जनवरी 2020, 01 जुलाई 2020 और 01 जनवरी 2021 से देय महंगाई भत्ते और महंगाई राहत की तीन किस्तों को फ्रीज कर दिया था। इस कदम से सरकारी खजाने में लगभग 34,402 करोड़ रुपये बचे थे। सरकार का तर्क था कि इस धनराशि का उपयोग महामारी के दौरान विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं के लिए किया गया।

कर्मचारी संगठनों की लगातार मांग

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पिछले कई वर्षों से, विभिन्न कर्मचारी संगठन बकाया महंगाई भत्ते की मांग कर रहे हैं। इन संगठनों ने कई बार वित्त मंत्रालय को ज्ञापन भेजकर अपनी मांग दोहराई है। उनका कहना है कि कोरोना के समय सरकार ने जो फैसला लिया था, वह अब आर्थिक स्थिति सुधरने के बाद बदला जाना चाहिए। कर्मचारियों के अनुसार, यह उनका कानूनी अधिकार है और इसे वापस किया जाना चाहिए।

सरकार का स्पष्ट जवाब – बकाया नहीं मिलेगा

इस मुद्दे पर, वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने संसद में स्पष्ट जवाब दिया है। उन्होंने कहा कि कोविड-19 महामारी के दौरान सरकार पर वित्तीय दबाव था, इसलिए DA/DR को फ्रीज किया गया था। मंत्री ने स्पष्ट किया कि 18 महीने के दौरान रोके गए महंगाई भत्ते के बकाए को अब जारी नहीं किया जाएगा। उनके अनुसार, उस समय बचाई गई राशि का उपयोग महामारी के दौरान जनकल्याणकारी योजनाओं के लिए किया गया था।

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बजट में भी नहीं मिली उम्मीद

केंद्रीय कर्मचारियों और पेंशनभोगियों को उम्मीद थी कि इस वर्ष के बजट में DA बकाए के मुद्दे पर कोई सकारात्मक घोषणा की जाएगी। लेकिन बजट में भी इस मुद्दे पर कोई बात नहीं की गई। वित्त मंत्रालय ने साफ कर दिया है कि बकाया DA को जारी करने का सवाल ही नहीं उठता, क्योंकि यह एक विशेष परिस्थिति में लिया गया निर्णय था।

सुप्रीम कोर्ट का हवाला

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कर्मचारी संगठनों ने अपनी मांग के समर्थन में सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले का हवाला दिया है। उनका कहना है कि इस तरह के मामलों में, कर्मचारियों को 6% सालाना ब्याज के साथ बकाया राशि का भुगतान किया जाना चाहिए। हालांकि, सरकार ने इस तर्क पर भी कोई ध्यान नहीं दिया है और अपने फैसले पर कायम है।

क्या तीन किस्तों में मिल सकता था बकाया?

कर्मचारी संगठनों ने सरकार को एक प्रस्ताव दिया था कि अगर एकमुश्त भुगतान करना मुश्किल है, तो बकाया राशि को तीन किस्तों में दिया जा सकता है। इससे सरकार पर एक साथ आर्थिक बोझ नहीं पड़ेगा और कर्मचारियों को भी उनका हक मिल जाएगा। लेकिन सरकार ने इस सुझाव पर भी कोई सकारात्मक प्रतिक्रिया नहीं दी है।

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कर्मचारियों के लिए निराशा

सरकार के इस निर्णय से करोड़ों केंद्रीय कर्मचारी और पेंशनभोगी निराश हैं। उन्हें उम्मीद थी कि आर्थिक स्थिति बेहतर होने के बाद सरकार उनका बकाया लौटा देगी। लेकिन अब यह साफ हो गया है कि कोविड काल में रोके गए 18 महीने के DA और DR का बकाया उन्हें नहीं मिलेगा। यह फैसला उन सभी केंद्रीय कर्मचारियों और पेंशनभोगियों पर लागू होगा, जिनका महंगाई भत्ता उस अवधि में रोका गया था।

क्या है आगे का रास्ता?

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अब जबकि सरकार ने अपना निर्णय स्पष्ट कर दिया है, कर्मचारी संगठनों के पास कानूनी विकल्प हैं। वे न्यायालय का दरवाजा खटखटा सकते हैं या फिर सरकार पर और दबाव बना सकते हैं। हालांकि, वित्त मंत्रालय के स्पष्ट जवाब के बाद, इस मुद्दे पर तत्काल कोई परिवर्तन की संभावना कम ही दिखाई देती है।

Disclaimer

इस लेख में दी गई जानकारी सरकारी घोषणाओं और मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है। किसी भी सरकारी नीति या निर्णय के बारे में अधिक जानकारी के लिए, कृपया आधिकारिक सरकारी वेबसाइट या संबंधित विभागों से संपर्क करें। यह लेख केवल सूचनात्मक उद्देश्यों के लिए है।

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