7th CPC:केंद्र सरकार ने सरकारी कर्मचारियों के लिए एक महत्वपूर्ण फैसला लिया है। पेंशन एवं पेंशनभोगी कल्याण मंत्रालय ने हाल ही में एक नया आदेश जारी किया है, जिसके अनुसार रिटायरमेंट और मृत्यु ग्रेच्युटी की अधिकतम सीमा को 20 लाख रुपये से बढ़ाकर 25 लाख रुपये कर दिया गया है। यह बदलाव 1 जनवरी 2024 से लागू हो गया है। यह निर्णय सातवें केंद्रीय वेतन आयोग की सिफारिशों के अनुसार किया गया है।
आदेश का विवरण
कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन मंत्रालय के पेंशन एवं पेंशनभोगी कल्याण विभाग ने यह आदेश जारी किया है। मंत्रालय ने सभी विभागों से अनुरोध किया है कि वे अपने लेखा नियंत्रक, वेतन नियंत्रक और लेखा कार्यालयों को इस आदेश के बारे में सूचित करें ताकि योग्य कर्मचारियों को इसका लाभ समय पर मिल सके। यह आदेश वित्त मंत्रालय के व्यय विभाग के परामर्श से 27 मई 2024 को जारी आईडी नोट संख्या 1(8)/EV/2024 के माध्यम से जारी किया गया है।
सीसीएस नियमों में संशोधन
इस आदेश के अनुसार, केंद्रीय सिविल सेवा (पेंशन) नियम 2021 और केंद्रीय सिविल सेवा (एनपीएस के तहत ग्रेच्युटी का भुगतान) नियम 2021 में औपचारिक संशोधन अलग से घोषित किए जाएंगे। यह आदेश भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक के परामर्श से जारी किया जाएगा, विशेष रूप से भारतीय लेखापरीक्षा और लेखा विभाग में काम करने वाले कर्मचारियों के लिए।
सातवें वेतन आयोग के तहत बदलाव
सातवें केंद्रीय वेतन आयोग की सिफारिशों के अनुसार, केंद्र सरकार के कर्मचारियों की ग्रेच्युटी की अधिकतम सीमा को 50 प्रतिशत तक बढ़ाने का प्रावधान है। इस बार सरकार ने इसे 25 प्रतिशत बढ़ाकर 20 लाख रुपये से 25 लाख रुपये कर दिया है। इस वृद्धि के साथ, पारिवारिक पेंशन, विकलांगता पेंशन, ग्रेच्युटी पेंशन और अनुग्रह के एकमुश्त समायोजन को नियंत्रित करने वाले नियमों में भी परिवर्तन हुए हैं।
ग्रेच्युटी सीमा का इतिहास
पहले ग्रेच्युटी की अधिकतम सीमा 10 लाख रुपये थी। 1972 का ग्रेच्युटी भुगतान अधिनियम उन संस्थानों पर लागू होता है जहां दस या अधिक कर्मचारी काम करते हैं। इस कानून का मुख्य उद्देश्य कर्मचारियों को सेवानिवृत्ति के बाद सामाजिक सुरक्षा प्रदान करना है, चाहे सेवानिवृत्ति का कारण कुछ भी हो, जिसमें शारीरिक अक्षमता या शरीर के महत्वपूर्ण अंगों की क्षति भी शामिल है।
2018 में हुए संशोधन
2018 में, सरकार ने ग्रेच्युटी भुगतान अधिनियम में संशोधन किया और इसकी अधिकतम सीमा को 10 लाख रुपये से बढ़ाकर 20 लाख रुपये कर दिया। इस संशोधन के पीछे का मुख्य कारण महंगाई और वेतन वृद्धि को ध्यान में रखते हुए कर्मचारियों के हितों की रक्षा करना था। यह संशोधन 29 मार्च 2018 से लागू हुआ था, जब संसद के दोनों सदनों ने इसे पारित किया और राष्ट्रपति ने इसे अपनी स्वीकृति दी।
महिला कर्मचारियों के लिए विशेष प्रावधान
2018 के संशोधन में, मातृत्व अवकाश पर रहने वाली महिला कर्मचारियों के मामले में निरंतर सेवा की गणना से संबंधित प्रावधानों को भी संशोधित किया गया था। इसे पहले के ‘बारह सप्ताह’ से बढ़ाकर ऐसी अवधि कर दिया गया जिसे केंद्र सरकार समय-समय पर अधिसूचित कर सके। उस समय इसे छब्बीस सप्ताह भी कहा जाता था।
सार्वजनिक और निजी क्षेत्र के बीच सामंजस्य
इस नए नियम से सीसीएस (पेंशन) नियमों के अधीन नहीं आने वाले निजी क्षेत्र और सरकार के अधीन सार्वजनिक क्षेत्र में कार्यरत कर्मचारियों के बीच समन्वय सुनिश्चित होगा। इससे सभी क्षेत्रों के कर्मचारियों को समान लाभ मिलेगा, चाहे वे किसी भी क्षेत्र में काम करते हों।
नए आदेश का महत्व
यह नया आदेश सेवानिवृत्ति की योजना बना रहे कर्मचारियों के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। ग्रेच्युटी सीमा का बढ़ना उनके लिए वित्तीय सुरक्षा में वृद्धि का संकेत है। इससे कर्मचारियों को अपने सेवानिवृत्ति के बाद के जीवन के लिए बेहतर आर्थिक योजना बनाने में मदद मिलेगी। 25 लाख रुपये की यह नई सीमा कर्मचारियों को उनके लंबे समय की सेवा के लिए एक अच्छा प्रोत्साहन है।
इस प्रकार, केंद्र सरकार का यह कदम सरकारी कर्मचारियों के कल्याण के प्रति उसकी प्रतिबद्धता को दर्शाता है। ग्रेच्युटी सीमा में यह वृद्धि न केवल सरकारी कर्मचारियों के लिए बल्कि निजी क्षेत्र के कर्मचारियों के लिए भी एक सकारात्मक संकेत है। यह सुनिश्चित करता है कि सभी क्षेत्रों के कर्मचारियों को अपनी सेवाओं के लिए उचित पुरस्कार मिले और वे अपने सेवानिवृत्ति जीवन को बिना किसी वित्तीय चिंता के बिता सकें।
Disclaimer
यह लेख केवल सूचनात्मक उद्देश्यों के लिए है। कोई भी निर्णय लेने से पहले आधिकारिक सरकारी अधिसूचनाओं और विभागीय परिपत्रों को संदर्भित करें। वित्तीय मामलों में अपने वित्तीय सलाहकार या संबंधित विभाग से परामर्श करना सुनिश्चित करें।